अंडरकवर ह्यूमर: स्लैपस्टिक कॉमेडी में पुलिस किरदारों की चमक।
इस विषय पर चर्चा के लिए पैनल में पूर्व डीजीपी अशोक कुमार, अभिनेत्री कविता कौशिक (चंद्रमुखी चौटाला फेम), और मॉडरेटर मानस लाल मौजूद थे।
कविता कौशिक ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा,
“मेरे पिता सीआरपीएफ में थे। चंद्रमुखी चौटाला का किरदार निभाते समय वर्दी पहनने से ही एक अलग तरह की ताकत का एहसास होता था। यह मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण किरदार है। मैंने अपने पिता से सब कुछ सीखा, जो न केवल अनुशासनप्रिय थे बल्कि एक अद्भुत एंटरटेनर भी थे। पुलिस का काम बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, और उनके काम में हल्के-फुल्के पलों का होना बहुत जरूरी है। मैंने पुलिस से सीखा है कि रोना नहीं, बल्कि कॉमेडी को दोस्त बनाओ।”
अशोक कुमार ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा,
“उत्तराखंड में, लोग कर्फ्यू के दौरान यह देखने आते हैं कि कर्फ्यू कैसे होता है। कर्फ्यू को नियंत्रित करने के लिए कई बार हमने गेम्स और कॉमेडी का सहारा लिया। हास्य का उपयोग तनावपूर्ण स्थितियों में पुलिस को मानसिक मजबूती देने का काम करता है।”
मानस लाल ने चंद्रमुखी चौटाला के स्लैपस्टिक अंदाज पर सवाल करते हुए पूछा कि क्या यह आज के सोशल मीडिया दौर में भी प्रासंगिक है?
कविता ने जवाब दिया,
“आज सोशल मीडिया के कारण जनता को बहुत आसानी से पुलिस की छवि के करीब लाया जा सकता है। ऐसे किरदारों ने न केवल वर्दी की इज्जत बढ़ाई है, बल्कि पुलिस के प्रति आम लोगों की सोच को भी बदला है।”
मानस लाल ने अशोक कुमार से पूछा कि रील और रियल पुलिस किरदारों को वे किस तरह देखते हैं।
अशोक कुमार ने कहा,
“मुझे चंद्रमुखी चौटाला का सीरियल देखना अच्छा लगता है। इसमें मानवता और हास्य दोनों हैं। Kavita kaushik ne kaha ki मेरे घर में इस किरदार को देखकर वर्दी के प्रति सम्मान और बढ़ा। लेकिन मुझे पुलिस वर्दी में आइटम डांस देखकर खेद होता है, क्योंकि यह वर्दी के सम्मान को ठेस पहुंचाता है। वर्दी में अनुशासन और मर्यादा का पालन करना अनिवार्य है।”
इस चर्चा ने पुलिस के किरदारों के हास्य पक्ष को दर्शाने और समाज में उनके प्रभाव को समझने पर रोशनी डाली। स्लैपस्टिक कॉमेडी के माध्यम से पुलिस की मानवीय और सकारात्मक छवि को प्रस्तुत करना न केवल मनोरंजन का एक तरीका है, बल्कि यह वर्दी के प्रति सम्मान बढ़ाने का माध्यम भी है।