क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल पर फॉरेंसिक और अपराध जांच पर एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई।
देहरादून:आज एक महत्वपूर्ण सत्र में कानून और व्यवस्था के वरिष्ठ अधिकारी आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) श्री निलेश आनंद भारने और प्रसिद्ध अपराध संवाददाता शम्स ताहिर खान ने फॉरेंसिक और अपराध जांच के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता साझा की। इस सत्र का संचालन डॉ. प्राची कंडवाल ने किया, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए, खासकर पोस्टमॉर्टम रूम और फॉरेंसिक की भूमिका पर।
श्री निलेश आनंद भारने ने कहा, “अपराधी फॉरेंसिक को धोखा देने की कोशिश करते हैं और भागने का प्रयास करते हैं, लेकिन फॉरेंसिक सभी को पकड़ लेती है। हम 90 प्रतिशत मामलों को फॉरेंसिक के माध्यम से हल कर लेते हैं।” उन्होंने फॉरेंसिक जांच के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इससे अपराधियों को पकड़ने में काफी मदद मिलती है।
शम्स ताहिर खान ने कहा, “बड़े मामले तकनीकी के माध्यम से हल होते हैं।” इसके साथ ही उन्होंने अपराध जांच में तकनीकी के इस्तेमाल पर चर्चा की और उसके प्रभाव को स्वीकार किया।
डॉ. प्राची कंडवाल ने फॉरेंसिक पोस्टमॉर्टम रूम की निरीक्षण की महत्ता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इसका निरीक्षण किया जाए, क्योंकि पोस्टमॉर्टम और ऑटोप्सी दोनों ही केस को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
श्री निलेश आनंद भारने ने आगे कहा, “किसी भी मामले का निष्कर्ष केवल एक चीज़ से नहीं निकाला जा सकता, हम पूरी प्रक्रिया में काम करते हैं।” इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि अपराध स्थल को हमेशा घेराबंदी में रखना चाहिए और इस दौरान साक्ष्य का महत्व अत्यधिक होता है।
आईपीएस अधिकारी मीरा ने सुझाव दिया कि एक सप्ताह का ओपन फॉरेंसिक लैब छात्रों के लिए आयोजित किया जाना चाहिए ताकि वे फॉरेंसिक जांच के महत्व को समझ सकें।
इस सत्र में निठारी कांड और लंबित मामलों पर भी चर्चा हुई। अधिकारियों ने कहा कि अदालत में साक्ष्य के बिना कहानी नहीं चल सकती, जिसके कारण कई अपराधी बच जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में फॉरेंसिक लैब में हजारों मामले लंबित हैं।
अंत में, अधिकारियों ने यह निष्कर्ष निकाला कि अपराध जांच में पूरी प्रक्रिया और तकनीकी का सही इस्तेमाल बेहद महत्वपूर्ण है, और इसके लिए निरंतर विकास और प्रशिक्षण की आवश्यकता है।