Electoral Bonds को असंवैधानिक बताकर सुप्रीम कोर्ट ने किया बैन, खरीदारों की लिस्ट होगी सार्वजनिक।
लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। SC ने चुनावी बॉन्ड को अवैध करार देते हुए नए बॉन्ड की खरीद पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। वोटर को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का हक है।
लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। SC ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। वोटर्स को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का हक है। कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट सार्वजनिक की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है। कोर्ट ने माना कि गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। CJI ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के अलावा भी काले धन को रोकने के दूसरे तरीके हैं। अदालत ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड की गोपनीयता ‘जानने के अधिकार’ के खिलाफ है। राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी होने से लोगों को मताधिकार का इस्तेमाल करने में स्पष्टता मिलती है।
चुनाव आयोग के साथ जानकारी साझा करेगा SBI बैंक।
फैसला सुनाते हुए CJI ने कहा कि राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी उजागर न करना मकसद के विपरीत है। एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से लेकर अब तक की जानकारी सार्वजानिक करनी होगी। एसबीआई को ये जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी। EC इस जानकारी को साझा करेगा। SBI को तीन हफ्ते के भीतर ये जानकारी देनी होगी।