हाईकोर्ट नैनीताल की खंड पीठ द्वारा गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यालय, श्रीनगर की कार्यपरिषद के डी॰ए॰वी॰ महाविद्यालय को असंबद्ध करने के निर्णय पर रोक।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा डी.ए.वी स्नातकोत्तर महाविद्यालय देहरादून द्वारा दायर याचिका संख्या WPMB/141/23 में दिनांक 03.7. 2023 को हेमवती नंदन बहुगुणा (केंद्रीय) विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल) से संबद्ध उत्तराखंड के राजकीय सहायता प्राप्त डी॰ए॰वी॰ महाविद्यालय को असंबद्ध करने के निर्णय पर रोक लगा दी है। न्यायधीश श्री मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायधीश श्री पंकज पुरोहित की संयुक्त खंडपीठ द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के निर्णय दिनांक 30 मई 2023 के बिंदु 20.18, जिसमें 10 राज्य सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को सत्र 2023-24 से असंबद्ध करने का निर्णय लिया गया था, पर डी.ए.वी. (पी.जी.) कॉलेज देहरादून के संदर्भ में रोक लगाई जाती है ।अतः इस महाविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया पूर्व वर्षों की भांति ही विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार व नियमानुसार पूर्ण की जाएगी।
इस संदर्भ में उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा यह मत व्यक्त किया गया कि केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 की धारा 4(f) के प्रावधानों के अंतर्गत सम्मिलित राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग तथा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों के आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्तर पर असंबद्धता का निर्णय नहीं लिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी उच्च न्यायालय की खंडपीठ के द्वारा राज्य सरकार तथा भारत सरकार के संबद्धता के आदेशों को रद्द किया जा चुका था जिस की जनहित याचिका रविंद्र जुगरान के द्वारा 2020 में प्रस्तुत की गई थी तथा इसके अंतर्गत भी माननीय उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय द्वारा अपने स्तर पर असंबद्धता किये जाने पर रोक लगा दी थी।माननीय उच्च न्यायालय में डी.ए.वी. महाविद्यालय देहरादून की तरफ़ से वरिष्ठ एवं अनुभवी अधिवक्ता श्री शोभित सहारिया द्वारा खंडपीठ के समक्ष पैरवी की गयी।
इस अवसर पर दयानंद शिक्षा संस्थान के सचिव श्री मानवेन्द्र स्वरूप ने इसखबर को संस्थान के द्वारा संचालित महाविद्यालयों में, जिसमें डी.ए.वी. महाविद्यालय देहरादून अग्रणी है, में नियमानुसार प्रवेश परीक्षा तथा सम्बंधित शिक्षा कार्यों का संचालन, मानकों का पालन होने तथा प्रदेश व केंद्र सरकारों के द्वारा जारी शासनादेशों तथा गजट अधिसूचनाओं के अनुपालन किए जाने की जीत बताया तथा इस जीत पर प्रसन्नता व्यक्त की। डी.ए.वी. महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफ़ेसर के. आर. जैन ने माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय को छात्रों तथा महाविद्यालय के हित में आने को दृष्टिगत रखते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। प्राचार्य कार्यालय में इस अवसर पर प्रेस वार्ता का आयोजन करते हुए प्रो0 जैन ने सभी सम्मानित पत्रकारों को इस माननीय न्यायालय द्वारा लगायी गई रोक के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस आदेश के पश्चात महाविद्यालय में में बी॰ए॰, बी॰कॉम॰, बी॰ एससी॰ प्रथम वर्ष में प्रवेश के इच्छुक छात्र छात्राओं को बड़ी सहायता मिलेगी तथा उन्होंने कहा कि इसके पश्चात महाविद्यालय अपनी प्रवेश प्रक्रिया को विधिवत आरम्भ करने की जो तैयारी कर चुका है, उसे लागू कर सकेगा तथा डी.ए.वी. महाविद्यालय में छात्र छात्राओं को स्नातक तथा स्नातकोत्तर कक्षाओं में जल्दी ही प्रवेश मिल सकेगा। प्रो० जैन के अनुसार प्रवेश के इच्छुक छात्रों के लिए महाविद्यालय के प्रवेश द्वार के निकट एक “केंद्रीय कृत पूछताछ एवं प्रवेश सहायता केंद्र” भी स्थापित किया जा रहा है, जिससे कि उनकी जिज्ञासाओं और चिंताओं का तुरंत और आसानी से समाधान किया जा सकेगा। प्रोफ़ेसर जैन ने प्रेसवार्ता में बताया कि माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय की प्रति प्राप्त होते ही नियमानुसार प्रवेश प्रक्रिया तथा संबद्धता जारी रखने के संबंध में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल (केंद्रीय)विश्वविद्यालय को पत्र भी प्रेषित किया जाएगा। इस प्रेस वार्ता के अवसर पर प्रो.एच. एस रंधावा, डॉ एम. एम. एस. जस्सल, प्रो. सुनील कुमार, प्रो. प्रशांत सिंह, मेजर अतुल सिंह, डॉ सत्यव्रत त्यागी, डॉ रवि दीक्षित तथा डॉ विवेक त्यागी उपस्थित थे।